विशेष लेखन - स्वरूप और प्रकार
किसी खास विषय पर सामान्य लेखन से हटकर कि किया गया लेखन विषय लेखन कहलाता है।
डेस्क किसे कहते है ?
समाचार पत्र -पत्रिकाओं रेडियो और टीवी में विशेष लेखन के लिए अलग डेस्क होता है उस विशेष डेस्क और काम करने वाले पत्रकारों का समूह भी अलग होता है किस से अपेक्षा की जाती है कि संबंधित विषय या क्षेत्र मैं उनकी विशेषज्ञता होगी।
बीट किसे कहते है ?
संवाददाताओं के बीच काम का विभाजन आम तौर पर उनकी दिलचस्पी और ज्ञान को ध्यान में रखते हुए किया जाता है। मीडिया की भाषा में इसे बीट कहते हैं।
विशेष लेखन की भाषा और शैली
• विशेष लेखन का संबंध जिन विषयों और क्षेत्रों से होता है, उनमें से अधिकांश तकनीकी रूप से जटिल होते हैं और उससे जुड़ी घटनाओं और मुद्दों को समझना आम पाठकों के लिए कठिन होता है। इसलिए इन क्षेत्रों में विशेष लेखन की आवश्यकता होती है जिससे पाठकों को समझने में कठिनाई ना हो।
• हर क्षेत्र विशेष की अपनी एक विशेष तकनीकी शब्दवाली प्रयोग किया जाता है। जैसे-
i) कारोबार और व्यापार में सोना उछला, चाँदी लुढ़की आदि।
ii) पर्यावरण संबंधित लेख में आद्रता, टाक्सिक कचरा, ग्लोबल वार्मिंग आदि।
• विशेष लेखन की कोई निश्चित शैली नहीं होती है। विषयानुसार उल्टा पिरामिड या फीचर शैली का उपयोग हो सकता है।
विशेषज्ञता से क्या अभिप्राय है ?
विशेषज्ञता का अर्थ है की व्यवसायिक रूप से प्रशिक्षित न होने के बावजूद उस विषय में जानकारी और अनुभव के आधार पर अपनी समझ और इस हद तक विकसित करना है कि सूचनाओं की सहजता सेवा क्या कर पाठकों को उसके मायने समझा सकें।
• विशेषज्ञता प्राप्त करने के लिए स्वयं का अपडेट रहना, पुस्तके पढ़ना,शब्दकोश आदि का सहारा लेना, सरकारी- गैर सरकारी संगठन से संपर्क रखना, निरंतर दिलचस्पी और सक्रियता आवश्यक है।