एक अर्थव्यवस्था की केंदीय समस्याएँ
आर्थिक समस्या क्या हैं ?
आर्थिक समस्या असीमित आवश्यकताओं की संतुष्टि हेतु वैकल्पिक उपयोग वाले सीमित संसाधनों के चयन की समस्या है।
आर्थिक समस्या के करण क्या हैं ?
i ) असीमित आवश्यकताएँ
ii ) सिमित/दुर्लभ सधन
iii ) वैकल्पिक प्रयोग
असीमित आवश्यकताएँ
मनुष्य की आवश्यकताएँ असीमित होती हैं। कोई भी मनुष्य अपनी सभी आवश्यकताओं को पूर्ण रूप से संतुष्ट नहीं कर सकता है। किसी समाज के सभी सदस्यों की आवश्यकताओं को किसी निश्चित समय में पूर्ण से संतुष्ट नहीं किया जा सकता।
सिमित/दुर्लभ सधन
मानवीय आवश्यकताओं को संतुष्ट करने वाली अधिकतर वस्तुएँ तथा सेवाएँ सिमित होती हैं। इन वस्तुओं को दुर्लभ इसलिए कहा जाता है क्यूँकि इनकी माँग इनकी पूर्ति से अधिक होती है , भले ही इनकी कीमत कितनी हो।
वैकल्पिक प्रयोग
आर्थिक समस्या का अन्य कारण सिमित संसधनों के वैकल्पिक प्रयोग हैं। उदाहरण के लिए , दूध का विभिन्न कार्यों का प्रयोग होता हैं। जैसे - पनीर ,आइसक्रीम या मिठाई बनाने में प्रयोग किया जाता है।
एक अर्थव्यवस्था की केंदीय समस्याएँ
प्रत्येक अर्थव्यवस्था को ,चाहे वह धनि हो या निर्धन ,विकसित हो या अविकसित ,तीन केन्द्रीय समस्याओं का सामान करना पड़ता है।
i ) क्या उत्पादन किया जाए ?
ii ) कैसे उत्पादन किया जाए ?
iii) किसके लिए उत्पादन किया जाय ?
क्या उत्पादन किया जाए ?
इस समस्या के दो पहलू हैं :
i ) क्या उत्पादन किया जाए
ii ) कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए
・प्रत्येक अर्थव्यवस्था की सबसे पहली समस्या यह है की कौन-सी वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाए जिससे लोगों की अधिकतम आवश्यकताओं को संतुष्ट किया जा सके।
i ) एक तो अर्थव्यवस्था को यह निर्णय लेना पड़ता है की कौन-सी वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाए। उदाहरण के लिए ,कौन -सी उपभोक्ता वस्तुओं जैसे - चीनी ,कपड़ा , गेहूँ घी आदि का उत्पादन किया जाए तथा कौन -सी पूँजीगत वस्तुओं जैसे -मशीनों ,आदि का उत्पादन किया जाए इसी प्रकार यह चुनाव करना पड़ता है की कौन -सी युद्धकालीन वस्तओं जैसे - बंदूकों ,तोपों का उत्पादन किया जाए तथा कौन -सी शांतिकालीन वस्तुओं जैसे -ब्रेड ,मक्खन का उत्पाद किया जाए।
ii ) जब एक अर्थव्यवस्था यह निर्णय लेती है की कौन -सी वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करना है तो उसे यह निर्णय लेना पड़ता है की उन वस्तुओं का कीतनी मात्रा में उत्पादन किया जाए। यह निर्णय भी लेना पड़ता है कि उपभोक्ता वस्तुओं का कितना उत्पाद किया जाए तथा पूँजीगत वस्तुओं का कितना उत्पाद किया जाए।
कैसे उत्पादन किया जाए ?
एक अर्थव्यवस्था की दूसरी मुख्य समस्या है कि वस्तुओं का उत्पादन कैसे किया जाए या उत्पादन की व्यवस्था कैसे की जाए इस समस्या का संबंध उत्पादन की तकनीक का चुनाव करने से है।
उदाहरण: कपड़े का उत्पादन हथकरघों सहायता से हो सकता है अथवा आधुनिक मशीनों द्वारा किया जा सकता है।क्योंकि प्रत्येक समाज में दो तकनीक उपलब्ध है।
i) श्रम प्रधान तकनीक
ii) पूँजी प्रधान तकनीक
अतः समस्या उत्पन्न होती है कि देश में किन तकनीको का प्रयोग कितनी मात्रा में किया जाए
किसके लिए उत्पादन किया जाय ?
• सीमित संसाधनों के कारण कोई भी अर्थव्यवस्था पर समाज के सभी वर्गों के लिए वांछित मात्रा वस्तुओं का उत्पादन नहीं कर सकती है।
• क्योंकि प्रत्येक अर्थव्यवस्था में समाज के दो वर्ग होते है:
i) धनी(Rich)
ii) निर्धन(Poor)
• यदि उत्पादन में निर्धन वर्ग के लिए किया जाता है तो सामाजिक न्याय को प्रोत्साहन मिलता है। अथवा समानता को बढ़ावा मिलता है।
• अगर निर्धन वर्ग के लिए उत्पादन करने पर उत्पादकों के लाभों में कमी होगी ।
• कम लाभ का अर्थ है निम्न निवेश अर्थात सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि निम्न होगी ।
• इसके कारण अर्थव्यवस्था आने वाले लंबे समय तक पिछड़ी हुई रहेगी।
• इसलिए यहाँ समस्या उत्पन्न होती है कि किस वर्ग के लिए उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में किया जाए।
एक अर्थव्यवस्था की केंदीय समस्याएँ
प्रत्येक अर्थव्यवस्था को ,चाहे वह धनि हो या निर्धन ,विकसित हो या अविकसित ,तीन केन्द्रीय समस्याओं का सामान करना पड़ता है।
i ) क्या उत्पादन किया जाए ?
ii ) कैसे उत्पादन किया जाए ?
iii ) किसके लिए उत्पादन किया जाय ?
क्या उत्पादन किया जाए ?
इस समस्या के दो पहलू हैं :
i ) क्या उत्पादन किया जाए
ii ) कितनी मात्रा में उत्पादन किया जाए।
・प्रत्येक अर्थव्यवस्था की सबसे पहली समस्या यह है की कौन-सी वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाए जिससे लोगों की अधिकतम आवश्यकताओं को संतुष्ट किया जा सके।
・प्रत्येक अर्थव्यवस्था को यह चुनाव करना पड़ता है की आवश्यकताओं को संतुष्ट किया जाए तथा किन का त्याग किया जाए जिन आवश्यकताओं को संतुष्ट करने का निर्णय ले लिया जाता है, उनके विषय में दो बातें तय करनी पड़ती हैं.
i ) एक तो अर्थव्यवस्था को यह निर्णय लेना पड़ता है की कौन-सी वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाए। उदाहरण के लिए ,कौन -सी उपभोक्ता वस्तुओं जैसे - चीनी ,कपड़ा , गेहूँ घी आदि का उत्पादन किया जाए तथा कौन -सी पूँजीगत वस्तुओं जैसे -मशीनों ,आदि का उत्पादन किया जाए इसी प्रकार यह चुनाव करना पड़ता है की कौन -सी युद्धकालीन वस्तओं जैसे - बंदूकों ,तोपों का उत्पादन किया जाए तथा कौन -सी शांतिकालीन वस्तुओं जैसे -ब्रेड ,मक्खन का उत्पाद किया जाए।
ii ) जब एक अर्थव्यवस्था यह निर्णय लेती है की कौन -सी वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन करना है तो उसे यह निर्णय लेना पड़ता है की उन वस्तुओं का कीतनी मात्रा में उत्पादन किया जाए। यह निर्णय भी लेना पड़ता है कि उपभोक्ता वस्तुओं का कितना उत्पाद किया जाए तथा पूँजीगत वस्तुओं का कितना उत्पाद किया जाए।
कैसे उत्पादन किया जाए ?
एक अर्थव्यवस्था की दूसरी मुख्य समस्या है कि वस्तुओं का उत्पादन कैसे किया जाए या उत्पादन की व्यवस्था कैसे की जाए इस समस्या का संबंध उत्पादन की तकनीक का चुनाव करने से है।
उदाहरण: कपड़े का उत्पादन हथकरघों सहायता से हो सकता है अथवा आधुनिक मशीनों द्वारा किया जा सकता है।क्योंकि प्रत्येक समाज में दो तकनीक उपलब्ध है।
i) श्रम प्रधान तकनीक
ii) पूँजी प्रधान तकनीक
अतः यह कर दो इसका कोई है निर्णय लेना पड़ता है कि वह कौन सी तकनीक का प्रयोग किस उद्योग में करें जिससे उत्पादन अधिक कुशलतापूर्वक किया जा सके।
किसके लिए उत्पादन किया जाय ?
• सीमित संसाधनों के कारण कोई भी अर्थव्यवस्था पर समाज के सभी वर्गों के लिए वांछित मात्रा वस्तुओं का उत्पादन नहीं कर सकती है।
• क्योंकि प्रत्येक अर्थव्यवस्था में समाज के दो वर्ग होते है:
i) धनी(Rich)
ii) निर्धन(Poor)
• यदि उत्पादन में निर्धन वर्ग के लिए किया जाता है तो सामाजिक न्याय को प्रोत्साहन मिलता है। अथवा समानता को बढ़ावा मिलता है।
• अगर निर्धन वर्ग के लिए उत्पादन करने पर उत्पादकों के लाभों में कमी होगी ।
• कम लाभ का अर्थ है निम्न निवेश अर्थात सकल घरेलू उत्पाद की संवृद्धि निम्न होगी ।
• इसके कारण अर्थव्यवस्था आने वाले लंबे समय तक पिछड़ी हुई रहेगी।
• इसलिए यहाँ समस्या उत्पन्न होती है कि किस वर्ग के लिए उत्पादन किया जाए और कितनी मात्रा में किया जाए।
विभिन्न अर्थव्यवस्थाओं के केंद्रीय समस्याओं का समाधान
(Solution of Central Problems in different Economies)
• विभिन्न अर्थव्यवस्था की केंद्रीय समस्याओं का अलग अलग तरीके से समाधान करती है।
i) बाजार अर्थव्यवस्था
ii) केंद्रीय नियोजित अर्थव्यवस्था
iii) मिश्रित अर्थव्यवस्था
बाजार अर्थव्यवस्था
बाजार अर्थव्यवस्था एक स्वतंत्र अर्थव्यवस्था होती है। इसका अर्थ है कि यहाँ उत्पादकों को यह निर्णय लेने की स्वतंत्रता होती है कि क्या, कैसे तथा किसके लिए उत्पादन किया जाए। यह निर्णय वे इस आधार पर लेते हैं यह निर्णय बाजार पूत एवं मांग शक्तियों के आधार पर लिए जाते हैं।
केंद्रीय नियोजित अर्थव्यवस्था
केंद्रीय नियोजित अर्थव्यवस्था में ' क्या, कैसे और किसके लिए' उत्पादन किया जाए संबंधित निर्णय देश की सरकार द्वारा नियुक्त किसी केंद्रीय अधिकारी द्वारा लिए जाते हैं।
• वे सभी निर्णय अधिकतम सामाजिक कल्याण प्राप्त करने के उद्देश्य को ध्यान में रखकर लिए जाते हैं।
• इस प्रकार की अर्थव्यवस्था का मुख्य उद्देश्य अधिकतम लाभ प्राप्त करना नहीं होता है। ऐसी वस्तुओं तथा सेवाओं का उत्पादन किया जाता है, जो केंद्रीय अधिकारी के विचार में समाज के लिए सबसे अधिक लाभदायक हो।
मिश्रित अर्थव्यवस्था
• मिश्रित अर्थव्यवस्था में बजा अर्थव्यवस्था तथा केंद्रीय नियोजित अर्थव्यवस्था दोनों के गुण सम्मिलित होते हैं।
• अर्थव्यवस्था में क्या कैसे और किस के लिए उत्पादन किया जाए संबंधित निर्णय बाजार शक्तियों तथा सामाजिक कल्याण दोनों के आधार पर ली जाती है।
उत्पादन संभावना वक्र
(Production Possibility Curce (PPC)]
उत्पादन संभावना वक्र वह वक्र है जो दिए हुए संसाधनों तथा तकनीक द्वारा दो वस्तुओं के उत्पादन की वैकल्पिक संभावनाओं को प्रकट करता हैं।
उत्पादन संभावना वक्र की मान्यताओं
i) संसाधन दिए हुए हैं
ii) दिए हुए संसाधनों का पूर्ण एवं कुशल प्रयोग होता है
iii) उत्पादन तकनीक स्थिर रहती है।
तालिका : उत्पादन संभावना अनुसूची
चित्र वाख्या