बाजार के रूप|Forms of Market
बाजार क्या है ?
वह व्यवस्था है जो क्रेताओं तथा विक्रेता को एक दूसरे के संपर्क में लाकर वस्तुओं तथा सेवाओं की बिक्री एवं खरीद को सुविधाजनक बनाता है।
बाजार के रूप
i) पूर्ण प्रतियोगिता
ii) एकाधिकार
iii) एकाधिकार प्रतियोगिता
iv) अल्पाधिकार
पूर्ण प्रतियोगिता
पूर्ण प्रतियोगिता बाजार का वह रूप है जिसमें बहुत बड़ी संख्या में क्रेता और विक्रेता उद्योग द्वारा निर्धारित कीमत पर समरूप वस्तु का क्रय -विक्रय करते हैं।
पूर्ण प्रतियोगिता की विशेषताएँ
i) फर्में या विक्रेताओं की अधिक संख्या : किसी वस्तु को बेचने वाले विक्रेताओं की संख्या इतनी अधिक होती है कि किसी एक फर्म द्वारा पूर्ति में की जाने वाली वृद्धि या कमी का बाजार की कुल पूर्ति पर बहुत ही कम प्रभाव पड़ता है।
ii) क्रेताओं की अधिक संख्या: केवल विक्रेताओं की संख्या की अधिक नहीं होती है, क्रेताओं की संख्या भी बहुत अधिक होती है। इसके अनुसार एक व्यक्तिगत फर्म की तरह, एक व्यक्तिगत क्रेता की भी वस्तु की कीमत को प्रभावित करने में सक्षम नहीं होता। व्यक्तिगत माँग में होने वाली वृद्धि या कमी का कूल बाजार माँग पर बहुत ही कम प्रभाव पड़ता है। इसलिए पूर्ण प्रतियोगिता में व्यक्तिगत क्रेता भी कीमत पर सभी स्वीकारक होता है।
iii) पूर्ण ज्ञान : क्रेता और विक्रेता को बाजार में प्रचलित कीमत की पूरी -पूरी जानकारी होती है। क्रेताओं को इस बात का पूर्ण ज्ञान होता है कि विभिन्न -विभिन्न विक्रेता वस्तु को किस कीमत पर बेच रहे हैं ऐसे ज्ञान और सजगता के परिणाम से बाजार में वस्तु की एक ही कीमत पाई जाती है।
iv) फर्मों का स्वतंत्र प्रवेश व छोड़ना: पूर्ण प्रतियोगिता की अवस्था में किसी उद्योग में कोई भी फर्म प्रवेश कर सकती है अथवा पुरानी फ्रॉम उस उद्योग को छोड़ सकती है। फर्मों के प्रवेश अथवा छोड़ने पर किसी प्रकार का कानूनी प्रतिबंध नहीं होता है।
एकाधिकार
बाजार का वह रूप है जिसमें वस्तु का केवल एक विक्रेता होता है और उसका वस्तु की कीमत पूर्ण नियंत्रण होता है।
एकाधिकार की विशेषताएँ
i) एक विक्रेता तथा क्रेताओं अधिक संख्या : एकाधिकार में एक वस्तु का एक ही उत्पादक होता है।
• एकाधिकार में एक ही फर्म होती है। परंतु वस्तु के क्रेता काफी संख्या में होते हैं इसके परिणाम से वस्तु की कीमत को कोई क्रेता प्रभावित नहीं कर सकता है ।
ii) नई फर्मों के प्रवेश पर प्रतिबंध : एकाधिकारी उद्योग में नई फर्मों के प्रवेश पर कुछ प्रतिबंध होते हैं। एक एकाधिकारी फर्म को पेटेंट अधिकार दिए जाते हैं। अथवा एक एकाधिकारी परम को किसी तकनीकी या उत्पादन के लिए आवश्यक कच्चे माल पर नियंत्रण प्राप्त होता है।
iii) निकटतम स्थानापन्न का अभाव : एक एकाधिकारी फर्म ऐसी वस्तु का उत्पादन करते हैं जिसका कोई निकटतम स्थानापन्न नहीं होता।
iv) कीमत पर पूर्ण नियंत्रण : एकाधिकारी बाजार में वस्तु का एकमात्र उत्पादक होता है वस्तु की कीमत पर एकाधिकार का पूर्ण नियंत्रण होता है। इस प्रकार एकाधिकार कीमत निर्धारक अर्थात कीमत को करने तय करने वाला होता है।
एकाधिकार प्रतियोगिता
यह बाजार का वह रूप है जिसमें किसी वस्तु के बहुत से क्रेता तथा विक्रेता होते हैं परंतु प्रत्येक विक्रेता की वस्तु एक दूसरे से विभिन्न होती है।अतएव इस बाजार में वस्तु के बहुत से विक्रेता होते हैं जो विभेदीकृत वस्तुएँ बेचते हैं।
एकाधिकार प्रतियोगिता की विशेषताएँ
i) क्रेताओं तथा विक्रेताओं की अधिक संख्या : एकाधिकार प्रतियोगिता में क्रेताओं तथा विक्रेताओं की संख्या पूर्ण प्रतियोगिता की तरह काफी अधिक होती है। प्रत्येक फर्म का आकार भी छोटा होता है। प्रत्येक फर्म का बाजार में केवल एक सीमित भाग होता है।
ii) बिक्री लागत: प्रत्येक फर्म अपनी वस्तु का प्रचार करने के लिए विज्ञापन आदि पर बहुत वह करना पड़ता है।फर्म अपनी वस्तु को अधिक मात्रा में बेचने के लिए अखबारों, सिनेमाओं, रेडियो, टी○वी○ आदि में विज्ञापन देती है।
○ विज्ञापन तथा प्रचार पर जो व्यय होता है, इसी को बिक्री/ विक्रय कहते हैं।
iv) पूर्ण गतिशीलता का अभाव : उत्पादन के कारकों में पूर्ण गतिशीलता का अभाव होता है। तदनुसार, बाजार में सामान कारक या समान वस्तु के लिए विभिन्न -विभिन्न कीमतें प्रचलित होते हैं।
अल्पाधिकार
अल्पाधिकार बाजार वह बाजार होता है जिसमें क्रेताओ और तथा कम विक्रेताओं की संख्या होती है इस बाजार में वस्तु तथा वस्तु की कीमत अलग-अलग होती है। इस बाजार में विज्ञापन लागत काफी अधिक होती है। तथा इसमें क्रेताओं को वस्तु के मूल्य का अपूर्ण ज्ञान होता है।
अल्पाधिकार की विशेषताएँ
i) कम विक्रेता तथा अधिक क्रेता: अल्पाधिकारी बाजार के अंतर्गत कम संख्या में विक्रेता और अधिक संख्या में क्रेता होते हैं क्योंकि इस बाजार में महंगी वस्तुओं का व्यापार किया जाता है यह बाजार धनी वर्ग का बाजार होता है।
ii) कीमत विभेद :अल्पाधिकारी बाजार के अंतर्गत वस्तु की कीमत अलग-अलग होती है क्योंकि वस्तु की कीमत का पूर्ण नियंत्रण विक्रेता के पास होता है।
iii) विज्ञापन लागत:अल्पाधिकारी बाजार के अंतर्गत वस्तुओं की विज्ञापन लागत है काफी अधिक होती है क्योंकि इस बाजार में विक्रेता वस्तुओं की विज्ञापन पर अधिक धनराशि व्यय करता है क्योंकि इस बाजार में अधिक प्रतियोगिता होती है।
iv) वस्तु विभेद :अल्पाधिकारी बाजार के अंतर्गत प्रत्येक विक्रेता की वस्तु अन्य विक्रेता से किसी ना किसी रूप में अलग अलग होती है कोई भी विक्रेता अपनी वस्तु को अन्य विक्रेता के समान नहीं बना सकता है।